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वेदांत ने सुंदरगढ़ में सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ियों के बुनियादी ढांचे को बढ़ाया

दिल्ली, 4 नवंबर: भुवनेश्वर,04/11 –गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक व्यापक पहुंच और युवाओं को सशक्त बनाने के साथ सामुदायिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता दिखाते हुए, भारत के सबसे बड़े एल्यूमीनियम...

GS Yodha Book से UP पुलिस परीक्षा में 80-90% प्रश्न हू-ब-हू आये, सफलता की गारंटी

मेरठ (उत्तर प्रदेश), अक्टूबर 04: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए बाजार में सैकड़ो पुस्तकें हैं लेकिन इन सभी पुस्तकों को पीछे छोड़ते हुये एक...

बच्चो की आत्महत्या के जिम्मेदार माता पिता या स्कूल कोचिंग ?

नई दिल्ली, सितम्बर 20: भारत में छात्र आत्महत्या के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। जितने भारत में टॉपर्स निकल रहे हैं, उससे 10 गुना ज्यादा बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। सिर्फ 10वीं-12वीं या कॉलेज के बच्चों के ही नहीं, बल्कि इससे भी ज्यादा कक्षा 4 से लेकर कक्षा 9 तक के बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? माता-पिता, स्कूल या खुद बच्चे? इसी विषय पर हमारी बातचीत BIYZEN Youth Services के डायरेक्टर श्री अमनदीप से हुई।अमनदीप ने इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से समझाया।उन्होंने बताया कि भारत आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, और इस बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। हर इंसान को तनाव का सामना करना पड़ता है, चाहे वह 8 साल का बच्चा हो या 60 साल का वयस्क। पिछले दो दशकों में मानसिक सहनशीलता की कमी के कारण कई बदलाव हुए हैं, जिससे तनाव और आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। BIYZEN Youth Services हजारों बच्चों को आत्महत्या से बचा चुका है और उन्हें अपनी सेवाएं प्रदान कर चुका है। उनकी Stress Reliever Shield बच्चों को तनाव और आत्महत्या से बचाती है, जिससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन के मूल्यों को समझना आसान हो जाता है। अमनदीप ने बताया कि जब वह किसी माता-पिता से बात करते हैं, तो सभी यही कहते हैं कि “हमारे बच्चों को किसी प्रकार का तनाव नहीं है।” लेकिन जब उन्हें यह बताया जाता है कि जिन बच्चों ने आत्महत्या की, उनके माता पिता का भी यही जवाब था, तब उन्हें समझ आता है कि किसी की मानसिक स्थिति को बिना काउंसलिंग के समझा नहीं जा सकता, क्योंकि तनाव बताकर नहीं आता। स्कूलों में इस सेवा को देने पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। अमनदीप ने बताया कि जब वह स्कूलों में जाकर अपनी सेवाएं बच्चों को देने की कोशिश करते हैं, तो कुछ स्कूल इसे मुफ्त में भी बच्चों तक नहीं पहुँचने देते। दुःख की बात तो यह है कि जिन स्कूलों के बच्चे आत्महत्या कर चुके होते हैं, वे भी माता-पिता को दोषी ठहराकर बच्चों तक यह सेवा नहीं पहुँचने देते। कुछ स्कूल इस सेवा का शुल्क बहुत अधिक बताकर मना कर देते हैं, तो कुछ यह कहकर मना करते हैं कि “हमारे बच्चों को इसकी जरूरत नहीं है, बाद में आना।” हालांकि, कई अच्छे स्कूल अपने बच्चों को यह सेवा देने के लिए खुद हमें बुलाते हैं और पूरा सहयोग करते हैं, क्योंकि उनके लिए बच्चों की ज़िंदगी सबसे ज़रूरी होती है। अमनदीप ने बताया कि कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक हर बच्चे को तनाव-राहत काउंसलिंग मिलनी चाहिए, ताकि बच्चों में सकारात्मकता लाई जा सके और जब भी नकारात्मकता या तनाव आए, उसे तुरंत दूर किया जा सके। सिर्फ स्कूल में काउंसलर उपलब्ध होना काफी नहीं है, 24×7 सपोर्ट भी जरूरी है। कई स्कूल और माता-पिता अब इसे समझ रहे हैं, और कई स्कूल व माता-पिता अपने बच्चों को खोने के बाद इसे समझ रहे हैं। BIYZEN Youth...

बच्चो की आत्महत्या के जिम्मेदार माता पिता या स्कूल कोचिंग ?

नई दिल्ली, सितम्बर 20: भारत में छात्र आत्महत्या के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं। जितने भारत में टॉपर्स निकल रहे हैं, उससे 10 गुना ज्यादा बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। सिर्फ 10वीं-12वीं या कॉलेज के बच्चों के ही नहीं, बल्कि इससे भी ज्यादा कक्षा 4 से लेकर कक्षा 9 तक के बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? माता-पिता, स्कूल या खुद बच्चे? इसी विषय पर हमारी बातचीत BIYZEN Youth Services के डायरेक्टर श्री अमनदीप से हुई।अमनदीप ने इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से समझाया।उन्होंने बताया कि भारत आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, और इस बदलाव के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। हर इंसान को तनाव का सामना करना पड़ता है, चाहे वह 8 साल का बच्चा हो या 60 साल का वयस्क। पिछले दो दशकों में मानसिक सहनशीलता की कमी के कारण कई बदलाव हुए हैं, जिससे तनाव और आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। BIYZEN Youth Services हजारों बच्चों को आत्महत्या से बचा चुका है और उन्हें अपनी सेवाएं प्रदान कर चुका है। उनकी Stress Reliever Shield बच्चों को तनाव और आत्महत्या से बचाती है, जिससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन के मूल्यों को समझना आसान हो जाता है। अमनदीप ने बताया कि जब वह किसी माता-पिता से बात करते हैं, तो सभी यही कहते हैं कि “हमारे बच्चों को किसी प्रकार का तनाव नहीं है।” लेकिन जब उन्हें यह बताया जाता है कि जिन बच्चों ने आत्महत्या की, उनके माता पिता का भी यही जवाब था, तब उन्हें समझ आता है कि किसी की मानसिक स्थिति को बिना काउंसलिंग के समझा नहीं जा सकता, क्योंकि तनाव बताकर नहीं आता। स्कूलों में इस सेवा को देने पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। अमनदीप ने बताया कि जब वह स्कूलों में जाकर अपनी सेवाएं बच्चों को देने की कोशिश करते हैं, तो कुछ स्कूल इसे मुफ्त में भी बच्चों तक नहीं पहुँचने देते। दुःख की बात तो यह है कि जिन स्कूलों के बच्चे आत्महत्या कर चुके होते हैं, वे भी माता-पिता को दोषी ठहराकर बच्चों तक यह सेवा नहीं पहुँचने देते। कुछ स्कूल इस सेवा का शुल्क बहुत अधिक बताकर मना कर देते हैं, तो कुछ यह कहकर मना करते हैं कि “हमारे बच्चों को इसकी जरूरत नहीं है, बाद में आना।” हालांकि, कई अच्छे स्कूल अपने बच्चों को यह सेवा देने के लिए खुद हमें बुलाते हैं और पूरा सहयोग करते हैं, क्योंकि उनके लिए बच्चों की ज़िंदगी सबसे ज़रूरी होती है। अमनदीप ने बताया कि कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक हर बच्चे को तनाव-राहत काउंसलिंग मिलनी चाहिए, ताकि बच्चों में सकारात्मकता लाई जा सके और जब भी नकारात्मकता या तनाव आए, उसे तुरंत दूर किया जा सके। सिर्फ स्कूल में काउंसलर उपलब्ध होना काफी नहीं है, 24×7 सपोर्ट भी जरूरी है। कई स्कूल और माता-पिता अब इसे समझ रहे हैं, और कई स्कूल व माता-पिता अपने बच्चों को खोने के बाद इसे समझ रहे हैं। BIYZEN Youth...

Toppers की पहली पसंद Vidya Question Bank-2025

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तिमोर लेस्ते देश में मेडिकल शिक्षा हुई आसान, भारत और तिमोर लेस्ते के मध्य हुए महत्त्वपूर्ण समझौते

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लेमरीन टेक् स्किल्स यूनिवर्सिटी ने शुरू किया इनोवेटिव “प्लेसमेंट के बाद भुगतान कार्यक्रम

रोपड़, पंजाब, भारत: लेमरीन टेक् स्किल्स यूनिवर्सिटी ( Lamrin Tech Skills University ) ने इंजीनियरिंग, प्रबंधन और कंप्यूटर एप्लीकेशन ( B.Tech , BBA, BCA ,...

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